कही अमित शाह हरियाणा सरकार को बचाने तो चंडीगढ़ नहीं आए थे ?
क्या हरियाणा भाजपा में सब कुछ ठीक-ठाक !
अहीरवाल बेल्ट और अंबाला कैंट से मिल चुकी है सीएम को चुनौती !
भाजपा में चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह का बीते दिनों चंडीगढ़ दौरा हुआ था. दरअसल अमित शाह को जाना तो हिमाचल के कांगड़ा में था पर परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी कि उनको चंडीगढ़ आना पड़ा। चंडीगढ़ से ही शाह वापस दिल्ली लौट गए। दरअसल अमित शाह के दौरे के ठीक पहले हरियाणा में कांग्रेस ने शीतकालीन सत्र में नायब सिंह सैनी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया था। राजनीतिक जानकारों की अगर मान ली जाए तो केंद्र सरकार को ऐसी भनक लग गई थी कि शायद सब कुछ ठीक नहीं है इसीलिए रातों-रात भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह को खुद दिल्ली से चलकर चंडीगढ़ मोर्चा संभालने के लिए आना पड़ा। शाह के आने का असर यह हुआ कि जो कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी वह खुद सदन से वॉकआउट कर गई और यह सब कुछ ऐसे ही नहीं हुआ इसके पीछे लंबी कहानी थी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का हालिया चंडीगढ़ दौरा केवल एक औपचारिक कार्यक्रम तक सीमित नहीं था। ऐसे संकेत अब हरियाणा की राजनीतिक गलियारों में साफ दिखाई पड़ चुके हैं। आधिकारिक रूप से यह कहा गया कि अमित शाह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में पुलिस अकादमी की परेड में शामिल होने जा रहे थे, लेकिन राजनीतिक घटनाक्रमों की कड़ी को जोड़कर देखा जाए तो इस दौरे के पीछे की वजह कुछ और ही नजर आती है।
दरअसल, जिस दिन अमित शाह चंडीगढ़ पहुंचे, उसी दिन हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने की पूरी तैयारी थी। अचानक बने इस राजनीतिक संयोग ने कई सवाल खड़े कर दिए। सूत्रों का दावा है कि अविश्वास प्रस्ताव की आशंका को देखते हुए ही अमित शाह ने रातों-रात चंडीगढ़ का रुख किया, ताकि स्थिति पर करीबी नजर रखी जा सके और संगठनात्मक स्तर पर जरूरी संदेश दिया जा सके।
हालात यहां तक पहुंचे कि कांग्रेस अपना अविश्वास प्रस्ताव सदन में पेश तो कर दिया चर्चा भी हुई पर अंततः कांग्रेस को वॉकआउट का रास्ता अपनाना पड़ा। इसके साथ ही हरियाणा की भाजपा सरकार संकट से बाहर निकलती दिखाई दी।
हालांकि सरकार तो बच गई, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने यह सवाल जरूर खड़ा कर दिया कि क्या हरियाणा भाजपा के भीतर सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है?
राजनीतिक जानकारों की मानें तो पार्टी के अंदरूनी समीकरण लंबे समय से सहज नहीं हैं। खासकर अहिरवार बेल्ट से जुड़े वरिष्ठ नेता और ‘राव साहब’ के नाम से पहचाने जाने वाले प्रभावशाली चेहरे लगातार मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को लेकर असंतोष जताते रहे हैं। कई मौकों पर सार्वजनिक मंचों से यह कहा जा चुका है कि वे स्वयं मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। इस तरह के बयान न केवल सत्ता पक्ष के लिए असहज स्थिति पैदा करते हैं, बल्कि विपक्ष को भी मुद्दा दे देते हैं।
इसके अलावा, अंबाला कैंट से विधायक और भाजपा के बेबाक नेता अनिल विज का मामला भी कोई छोटा राजनीतिक संकेत नहीं माना जा रहा। अनिल विज और भाजपा नेतृत्व, खासकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ उनके तनाव की खबरें पहले भी सामने आती रही हैं। अनिल विज ने एक समय अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) से ‘मंत्री’ शब्द तक हटा दिया था, जिसे राजनीतिक हलकों में असंतोष का खुला इशारा माना गया। वे सार्वजनिक रूप से यह कहते भी नजर आए कि वे अंबाला के विधायक हैं और उनकी पहली जिम्मेदारी अंबाला के लोगों की आवाज उठाना है।
इस घटनाक्रम के बाद स्थिति इतनी गंभीर मानी गई कि स्वयं मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को अनिल विज को मनाने के लिए उनके पास जाना पड़ा। यह दृश्य अपने आप में यह दर्शाने के लिए काफी था कि पार्टी के भीतर मतभेद केवल चर्चाओं तक सीमित नहीं रहे, बल्कि वे नेतृत्व स्तर तक पहुंच चुके हैं।
ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि क्या केंद्र नेतृत्व को किसी बड़े राजनीतिक खतरे की भनक पहले ही लग गई थी? क्या इसी आशंका के चलते अमित शाह को अचानक चंडीगढ़ आना पड़ा, ताकि पार्टी के भीतर एकजुटता का संदेश दिया जा सके और संभावित टूट-फूट को समय रहते रोका जा सके?
भले ही ऊपर-ऊपर से सरकार स्थिर दिखाई दे रही हो, लेकिन अंदरखाने चल रही हलचल यह इशारा जरूर कर रही है कि हरियाणा भाजपा के सामने चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। आने वाले दिनों में पार्टी नेतृत्व इन अंदरूनी असंतोषों से कैसे निपटता है, इस पर न सिर्फ हरियाणा बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की नजरें भी टिकी रहेंगी।
24 को फिर पंचकूला आएंगे अमित शाह पर आने में असमंजस
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को इसी हफ्ते 24 दिसंबर को पंचकूला आना प्रस्तावित है। यहां पर वह तीन कार्यक्रमों में भाग लेंगे ऐसी जानकारी भाजपा नेताओं द्वारा दी जा रही है। पर सूत्रों से यह जानकारी मिल रही है कि शायद अमित शाह का दौरा रद्द हो सकता है। हालांकि तैयारी इसके लिए जोर-शोर पर चल रही है पर सूत्र कुछ और ही इशारा कर रहे है।




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